50+ Rahat Indori Shayari in Hindi, Rahat Indori Sher

Rahat Indori Shayari in Hindi, Rahat Indori Sher

Rahat Indori is one of the great poets of Urdu world. He is one of the leading lyricists of Hindi world, he was born on 1 January 1950 in Indore, Madhya Pradesh.
यहाँ आप देखेंगे 50+ Rahat Indori Shayari in Hindi, Rahat Indori Sher बेस्ट शायरी जो राहत इन्दोरी द्वारा लिखी हैं.



Rahat Indori Shayari in Hindi

Rahat Indori Shayari in Hindi, Rahat Indori Sher, rahat indori shayari



कौन सीखा है
सिर्फ बातों से, यहां सबको
एक हादसा जरूरी है


किसने दस्तक दी
ये दिल पर कौन है,
आप तो अन्दर है।
बाहर कौन है....


कभी दिमाग़, कभी दिल, कभी नज़र में रहो
ये सब तुम्हारे ही घर हैं किसी भी घर में रहो


Har khyaal ko shakl dena
munasib nahi
Kuch khyaalon ko isharoon
mein bhi samjha jaaye






आँख में पानी रखो,
होठो पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना हैं तो तरकीबें बहुत सारी रखो 


Do Ghaz Sahi Lekin Ye Meri
Milkiyat To Hai
aye Maut Tune Mujhe Zameedar n
kardiya.


देश चलता नही मचलता है,
और मुद्दा हल नही सिर्फ उछलता है,
जंग मैदान पर नही मिडीया पर जारी है
आज तेरी तो कल मेरी बारी है।


Dilon me aag, honthon par gulaab
rakhte hai
Yahan sab apne chehron par do
nakaab rakhte hai



Rahat Indori Sher




अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।


Tumhari be-qadri se nahi
main apni inaayat se choor hu
Khamosh hu kyunki,
main apni rivaayat se majboor hu.


Tujhe paane ki koshish me kuch
itna kho chuka hun main
ki tu mil bhi agar jaae
to ab milne ka gham hoga..!


जनाज़े पर मेरे लिख देना यारो
मुहब्बत करने वाला जा रहा है !


अल्फ़ाज़ उनके कितने राहत पहुंचाया करते थे
यूंही तो उनका नाम ' राहत' ना था






दुनिया की भीड़ से बाहर चले
आओ पहाड़ चले।।


ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था


हर एक सा मंजर नजर आता है
हर एक कतरा समंदर नजर आता है.
कहाँ बनाऊं मै घर शिशे का
हर किसी के हाथ में पत्थर नजर आता है


लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है



Rahat Indori Shayari in Hindi




रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है


नस नस में बसा है
ये जो तेरे इश्क़ का नशा है।।


दूरियां बहुत अच्छी थी,
घर से बाजारों के बीच,
सब कुछ बिकाऊ हो गया,
बाजारों के बीच घर आने से।




वो पन्नों में ही नहीं दिलों में भी जगह बनाकर गये हैं,
बस उनके शब्दों की गूँज हमेशा रहेगी जो
आसमान को जमीन पर लाये थे,
आज इन शब्दों को उनके लिए क्या पिरोऊँ जो
खुद में एक किताब थे....


कैसा लम्हा आन पड़ा है
हँसता घर वीरान पड़ा है
लोग चले हैं सहराओं को
और नगर सुनसान पड़ा है






पहले सहारे ,फिर उम्मीदे,
फिर अरमाँ भी छुट गये।
उपर से तो जखमी हुए हम,
अंदर से भी टूट गये।


मौत है ये..बुलाती है तो जाना ही पड़ता है एक दिन
पर आप हमेशा जिन्दा रहोगे आपकी लिखावट में..


हमारे पीर मीर तकी मीर ने कहा था
मियां आशिकी इज्ज़त बिगाड़ देती है


एक मुर्दे ने क्या खूब कहा है,
ये जो मेरी मौत पर रो रहे हैं,
अभी उठ जाऊं तो जीने नहीं देंगे.


Rahat Indori Sher




क्या शक्श था
जिसने कयामत कर दी,
रात भर जागने की मेरी आदत कर दी..!


मेरे घाव पर कुछ इस तरह नमक
लगाती है वो,
इश्क़ कि बात करके मुझे दोस्त
बुलाती है वो !!


के अपनी मंज़िल की राहो मे खुद का ही हमराही हूँ
काफी अकेला नहीं मे अकेला ही काफी हूँ।


अगर वो बुलाती है तो बेशक़ मत जाओ
मगर जब वो बुलाता है सबको जाना पड़ता है


ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज़ मरने वाला था






दूरियां बहुत अच्छी थी,
घर से बाजारों के बीच,
सब कुछ बिकाऊ हो गया,
बाजारों के बीच घर आने से।


जो गुज़र गया उसे याद मत
करो,


मुक्कदर में जो लिखा है उसकी फ़रयाद मत करो,
मुक्कदर में जो लिखा है वो होकर रहेगा,
तुम कल के चक्कर में आज को बर्बाद न करो।


Ye jo shor ho raha hain bahar,
Hone do


Dekho aasmaan bhi roh raha hai,
Rohne do
Hum lambi nind ki talash mai the,
Ab jo soh gaye hai,Sohne do


अंदाज़-ए-बयां तो होगा पर चाहत ना होगी
शहर-ए-इंदौर तो होगा पर राहत ना होगी


अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है


Janaze par mere likh dena yaaron ,
Mohabbat karne waala jaa raha hai .


Aur kya dekhna baki hai
Aapse dil laga k dekh liya,
Wo mere ho ke bhi mere na hue
Unko apna bana ke dekh liya.





Rahat Indori Sher



इश्क़ ने हमसे
कुछ ऐसी साज़िश रची है,
मुझ में मैं नहीं हूं
अब बस तू ही तू बची है


Mausam me surkh nami hai, 
shayad aasman bhi aahat hai.
Na sukoon hai dil ko ab, na hi indore me
ab rahat hai.


पहन कर चलते हैं पैरो में पायल
और कहते हैं हमे शोर पसन्द नही...


अंतिम से आरंभ किया मैंने
मैंने प्रण लिया तो लिया खुद से
खुद से जो भी किया तो किया शिद्दत से
शिद्दत से करने के बाद भी मिला बड़ी मुद्दत से


Kisi ne kya khub kaha hai.
Kahi pahunchne ke liye,
Kahi se nikalna zaruri hai.
Ab wo safar ho ya kisi ka dil.


लोग हर मोड़ पर 
इतना रुक रुक कर 
संभलते क्यों हैं 
इतना ही डरते हैं तो फिर 
घर से निकलते क्यों हैं 



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